अर्द्धमत्स्येन्द्रासन | Ardh Matsyendrasana
अर्द्धमत्स्येन्द्रासन | Ardh Matsyendrasana क्या है?
इस आसन को गोरखनाथ के गुरु (जिन्हें लोग मच्छेन्द्रनाथ भी कहते हैं) जिस आसन में समाधि लगाते थे उसे ‘मत्सयेन्द्रासन‘ कहते हैं। मत्स्येन्द्रासन एक दुष्कर आसन है, इसलिये इसे सरल करके इस रूप में परिवर्तित किया गया है। इसलिये इसे “अर्द्धमत्स्येन्द्रासन” कहा जाता है।
अर्द्धमस्येन्द्रासन के रोग निदान और लाभ
यह आसन मेरुदण्ड को लचीला और मजबूत बनाता है। यह कमर, कंधों,बाजुओं, जांघों, पीठ आदि की पेशियों को मजबूत बनाकर उनकी चर्बी दूर करता है और उन्हें सुडौल बनाता है।
इस आसन में मेरुंदंड को उसकी धुरी के ऊपर ही दायें और बायें मोड़ते हैं। स्नायुमंडल अधिकाधिक प्रभावित होता है, मूत्रदाह व मधुमेह रोग में अर्द्धमत्स्येन्द्रासन विशेष लाभ देता है।
हर प्रकार का कमर दर्द दूर होता है। पाचन यंत्र, विशेषकर, क्लोम (पैंक्रियास) और यकृत युष्ट होते हैं। फेफड़ों और हृदय को बल मिलता है।
छाती को खोलता है और फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है।
अर्द्धमत्स्येन्द्रासन करने का तरीका
सर्वप्रथम आप जमीन पर दरी या कम्बल बिछाकर सामने की तरफ टांगों को फैलाकर बैठ जायें।
फिर बैठे हुए, दायीं ओर के घुटने को मोड़कर एड़ी को नितम्ब के साथ लगा दें।
बायां पैर दायें घुटने के ऊपर से ले जाते हुए जमीन पर रखें, पैर का पूरा पंजा घुटने से आगे न जाये और बायां घुटना सीने के बीच रहे।
अब दायें हाथ को बायें घुटने के ऊपर से ले जाते हुए बायें पैर के तलवो को अंगूठे की ओर से पकड़ लें।
बायां पीठ के पीछे रखें। पीठ को सीधा रखते हुए गर्दन को घुमाकर सांस भरते हुए ठोड़ी को बायें कंधे की ओर ले जायें। मेरुदण्ड को अपने अवलम्ब पर पूर्ण रूप से मोड़ दें। इस स्थिति में 6 सेकेण्ड रुकें। पूर्व स्थिति में आकर आसन दोहराएं।
विशेष
इस आसन में एक पैर की एड़ी को नितम्ब के साथ लगाकर बैठा जाता है। इस आसन को उत्तर दिशा की ओर मुख करके लगाना अनुचित है।
सम्पूर्ण शरीर पर रात के समय में प्रत्येक दिन सरसों के तेल की मालिश करनी अनिवार्य है।
यह एक कठिन आसन है। शरीर के अंगों को कई रूप में मोड़ना पड़ता है। अंगों को मोड़ने का अभ्यास शनै-शनैः करना चाहिये।
इस बात का विशेष ध्यान रहे कि आपकी कमर क्रिया करते समय न झुके।
अर्द्धमत्स्येन्द्रासन करने से पहले कोनसे आसन करने चाहिए
अर्द्धमस्येन्द्रासन करने से पहले आपको यह आसान करने चाहिए:
- वीरासन (Virasana)
- बद्ध कोणासन (Baddha Konasana)
- सुप्त पादंगुष्ठासन (Supta Padangusthasana)
- भरद्वाजासन (Bharadvajasana)
अर्द्धमत्स्येन्द्रासन करने के बाद के आसन
अर्द्धमस्येन्द्रासन के बाद आप यह आसान करें:
पश्चिमोत्तानासन |
- पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana)
- जानुशीर्षासन (Janu Sirsasana)
अर्द्धमत्स्येन्द्रासन करने में सावधानी
- गर्भावस्था और मासिक धर्म के दौरान महिलाओ को यह आसन नहीं करना चाहिए।
- जिन लोगो का दिल, पेट या मस्तिष्क का ऑपरेशन हुआ हो उन्हे इस आसन का अभ्यास बिलकुल भी नहीं करना चाहिए।
- स्लिप-डिस्क के मामले में यह आसन लाभदायक हो सकता है लेकिन गंभीर मामलों में इसे बिलकुल भी नहीं करना चाहिए।
- यदि रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट या समस्याएं हैं, तो आपको इस आसन से बचना चाहिए।
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