Swastikasana/ स्वस्तिकासन
1.स्वस्तिकासन – swastikasana
स्वस्तिकासन के फायदे
1. याददाश्त और एकाग्रता बढ़ाए
जब आप अपनी रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा कर बैठते हैं, तो उस समय ऊर्जा का प्रवाह आपके मस्तिष्क की ओर होता है। इससे आपके मस्तिष्क की नसों को आराम मिलता है। नर्व्स सिस्टम शांत होने पर आपकी याददाश्त तेज करने और एकाग्रता बढ़ाने में मदद मिलती है। इससे मन को शांत करने और गलत भावनाओं को दूर करने में भी मदद मिलती है।
2. पाचन तंत्र सही करे
इस योगासन के अभ्यास से पाचन तंत्र को सही करने में मदद मिलती है। इस योगासन की मदद से भोजन को अच्छे से पचाने में मदद् मिलती होता है। साथ ही गैस, कब्ज और अपच की समस्या से भी आराम मिलता है।
3. सांस की तकलीफ में राहत
इस मुद्रा में आपकी सांस की नली में ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर ढंग से होता है। साथ ही इससे सांस की समस्याओं और अस्थमा के लक्षणों में भी राहत मिलती है। हालांकि इसके लिए आपको यह अभ्यास लंबे समय तक करना पड़ता है।
4. कमर के दर्द में राहत
स्वस्तिकासन योग में हम अपनी रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा करके बैठते हैं, जिसकी मदद से आपको कमर के दर्द और रीढ़ की हड्डी के दर्द में भी आराम मिलता है।
स्वस्तिकासन योग करने का तरीका
1. योग मैट पर सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
2. दोनों पैरों को योग मैट पर सामने की ओर सीधा कर लें।
3. पैरों के बीच थोड़ा सा अंतर बनाएं रखें।
4. अब बाएं पैर को घुटने से मोड़ें।
5. बाएं पैर का तलवा दाईं जांघ के अंदर की ओर आ जाए।
6. दाएं पैर को घुटने से मोड़ें।
7. पैर को जांघ और बाएं पैर की पिंडली के बीच रखें।
8. दोनों हाथ की हथेलियों को दोनों घुटनों पर रख लें।
9. रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी रहेगी।
10. सांसों को धीरे-धीरे लें और फिर बाहर छोड़ें।
11. इस योगासन को आप 10 मिनट तक कर सकते हैं।
सावधानियां
1. रीढ़ की हड्डी में दर्द होने पर इस योगासन को करने से बचें।
2. डायरिया होने पर इसका अभ्यास न करें।
3. गर्दन या कंधे में दर्द होने पर आसन करते समय हाथ को अधिक ऊपर न उठाएं।
4. बीमार होने पर इस अभ्यास को न करें।
इस योगासन को करने से पहले आप सुखासन, बद्ध कोणासन और ताड़ासन कर सकते हैं। स्वस्तिकासन करने के बाद आप शरीर को आराम देने के लिए शवासन का अभ्यास कर सकते हैं। इस योग की मदद से आपको शरीर को बैलेंस करने और दिमाग को स्थिर करने में मदद मिलती है।