भुजंगासन के अभ्यास से किडनी की पथरी, पीठ दर्द और अस्थमा जैसी समस्याओं में मिलता है फायदा
भुजंगासन |
योग और आयुर्वेद के माध्यम से सदियों से लोग खुद को हेल्दी और फिट रखने का काम करते आ रहे हैं। योगासनों का नियमित अभ्यास आपके शरीर को बीमारियों की चपेट में आने से बचाता और शरीर को मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रखने का काम करता है। शरीर के अलग-अलग अंगों और समस्याओं के लिए अलग-अलग योगासनों का अभ्यास किया जाता है। इन्हीं योगासनों में एक योगासन है भुजंगासन।
भुजंगासन को अंग्रेजी में कोबरा पोज (Cobra Pose in Hindi) के नाम से जाना जाता है। शरीर के लिए भुजंगासन के फायदे अनेकों हैं। यह एक ऐसा योगासन है जो पैर की उंगलियों से लेकर सिर तक शरीर के सभी अंगों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। भुजंगासन का नियमित रूप से अभ्यास करने से आपको न सिर्फ पीठ के दर्द को कम करने में फायदा मिलता है बल्कि इसका अभ्यास आपको किडनी की पथरी और थायराइड जैसी समस्याओं में भी फायदा देता है।
भुजंगासन का अभ्यास करने के फायदे (Bhujangasana Benefits )
भुजंगासन |
भुजंगासन को अंग्रेजी में कोबरा पोज इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके अभ्यास के दौरान आपका शरीर कोबरा के पोज में रहता है। अगर आपको पेट से जुड़ी समस्याएं हैं या किडनी की पथरी से जूझ रहे हैं तो इसका अभ्यास आपके लिए बहुत उपयोगी हो सकता है। रोजाना इस योगासन का अभ्यास करने से आपके शरीर की मांसपेशियों को फायदा मिलता है। इस योगासन को सर्पासन या सर्प मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास करते समय 12वें आसन के रूप में भुजंगासन का अभ्यास किया जाता है। आइये जानते हैं भुजंगासन के फायदे।
1. रीढ़ की हड्डी के लिए फायदेमंद
भुजंगासन का अभ्यास करने से आपकी रीढ़ की हड्डी को बहुत फायदा मिलता है। इसका अभ्यास रीढ़ की हड्डी का लचीलापन बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसके अभ्यास के दौरान आप रीढ़ की हड्डी को स्ट्रेच करते हैं और इससे रीढ़ और पीठ का एरिया मजबूत होता है।
2. किडनी से जुड़ी परेशानियों में उपयोगी
किडनी से जुड़ी समस्याएं खानपान और लाइफस्टाइल के कारण भी हो सकती हैं। किडनी की पथरी की समस्या में भुजंगासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसका नियमित रूप से अभ्यास करने से किडनी पर जोर पड़ता है और इससे किडनी में मौजूद विषाक्त पदार्थों को निकालने में भी फायदा मिलता है। किडनी की कार्यक्षमता सुधारने के लिए भी भुजंगासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है।
3. पीठ दर्द में फायदेमंद भुजंगासन
भुजंगासन का रोजाना अभ्यास करने से आपको पीठ से जुड़ी परेशानियों में फायदा मिलता है। पीठ के दर्द की समस्या को दूर करने के लिए भुजंगासन का अभ्यास करने की सलाह दी जाती है। कुछ दिनों तक पर रोजाना भुजंगासन का अभ्यास करने से आपको कमर दर्द की समस्या और पीठ दर्द में फायदा मिलता है।
4. थायरॉयड में बहुत फायदेमंद
थायरॉयड की समस्या में भुजंगासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसके अभ्यास से गले की मांसपेशियों और थायरॉयड ग्रंथि को हेल्दी बनाने में फायदा मिलता है। भुजंगासन का अभ्यास करने से थायरॉयड के साथ-साथ पैराथायरायड ग्रंथियों को भी ठीक करने में फायदा मिलता है।
5. मेटाबॉलिज्म सुधारने में फायदेमंद
शरीर का चयापचय यानी मेटाबॉलिज्म सुधारने में भुजंगासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। एनसीबीआई के एक शोध में शरीर के चयापचय से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भुजंगासन को फायदेमंद योगासन बताया गया है।
6. वजन संतुलित रखने में उपयोगी
शरीर का वजन संतुलित रखने के लिए भुजंगासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसके अभ्यास से पेट की मांसपेशियों को खिंचाव मिलता है जिससे आपको पेट कम करने और एक्स्ट्रा चर्बी बर्न करने में फायदा मिलता है। इसका रोजाना अभ्यास आपको मोटापे की समस्या से मुक्त कर सकता है।
7. अस्थमा में फायदेमंद भुजंगासन
अस्थमा सांस से जुड़ी एक गंभीर समस्या है। अस्थमा की समस्या से छुटकारा पाने के लिए भुजंगासन का रोजाना अभ्यास फायदेमंद माना जाता है। कई शोध और अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि भुजंगासन का अभ्यास आपको सायटिका के दर्द और अस्थमा की समस्या में होने वाली परेशानियों से छुटकारा दे सकता है।
भुजंगासन का अभ्यास करने का तरीका (Steps To Do Bhujangasana or Cobra Pose )
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भुजंगासन का अभ्यास करने के लिए आप इन स्टेप्स को फॉलो करें।
- सबसे पहले योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं।
- इसके बाद हाथों को सिर के दोनों तरफ जमीन से टिकाकर रखें।
- अब अपनी हथेलियों को अपने कंधों के बराबर ले जाएं।
- इसके बाद गहरी लंबी सांस लेते हुए हाथों को जमीन पर दबाते हुए शरीर को नाभि तक ऊपर की तरफ उठाएं।
- इस क्रम में सबसे सिर, फिर छाती और आखिर में पेट वाले हिस्से को ऊपर उठाएं।
- सिर को ऊपर की तरफ सांप के फन की तरह से खींचे।
- कुछ देर इसी पोजीशन में रहें और वापस शुरुआत की स्थिति में आयें।
- आप एक बार में 3 से 7 बार इसका अभ्यास कर सकते हैं।
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