भूमिका
भारतीय जीवनशैली और अद्यत्मिक परम्पराओ में योग और आयुर्वेद का बहुत महत्व पूर्ण स्थान है ये दोनों जीवनशैली मनुष्य का जीवन को स्वस्थ रखने में बहुत सहायक है जो नाकि केवल सरीर को स्वस्थ रखना की विधिय बताती बल्कि हमे सृरिक और मानसिक रूप से फिट रखने में मदत करती है यदि हम योग को सही समय और सही तरीके से करे तो यह हमारे आत्मिक संतुलन को भी बनाने में मदत करता है यदि हम योग को आत्मा और परमात्मा का मिलन का साधन भी मान सकते है / वहीं आयुर्वेद सरीर ,मन और आत्मा को स्वस्थ राक्खने में मदत करता है यदि हम योग और आयुर्वेद को अपने जीवन में लागु कर ले तो दोनों विधिय हमको एक बेहतर स्वस्थ जीवन के साथ लम्बा जीवन भी प्रदान करती है ये दोनों क्रियाये एक दुसरे की पूरक है यदि इनका पालन रोजाना किया जाये तो यह इन्सान को सम्पूर्ण रूप से स्वस्थ ,सुखी और रोजन जीवन जीने में शांति प्रदान करती ह

प्रथम खंड योग का परिचय
1.1 योग का अर्थ और इतिहास
योग शब्द का अर्थ है जोड़ना या मिलाना योग क्रिया का मुख्य काम है आत्मा को परमात्मा से मिलाना और शांति प्रदान करना यह परम्परा हजारो साल पुरानी है यह वेदों और उपनिषदों में इसका उल्लेख देखने को मिलता है हमारे भारतीय वेदों में बहुत अच्छी अच्छी जानकारिय बताई गयी जो हमारे जीवन को सरल और और स्वस्थ बनाने में सहायक है औए हमारे आत्मिक शांति के लिए भी सहायक है
1.2 योग के मुख्य अंग
1 यम = यह योग का नियम है
2 नियम = यह योग का व्यक्तिगत नियम है
3 आसन = यह योग की क्रिया करने का होता है
4 प्राडायाम = यह योग करते समय स्वाश को उपयोग में लाना सीखता है
5 प[प्रत्याहार = यह इन्द्रियों पर कंट्रोल को सिखाती है
6 धारणा = यह योग में एकाग्रता को सीखती है
7 ध्यान = यह हमारे लिए सबसे उपयोगी है जो Mediation सिखाती है
8 समाधि = यह आतम को परमात्मा से मिलाने में सहायक होता है

1.3 योग के लाभ
1 शारीरिक स्वास्थ में सुधार
2 मान्सिक तनाव में कमी
3 एकाग्रता और स्मरण सकती में मदत
4 रोग प्रतिरोधक छमता में मदत
5 आत्मिक शांति में मदत
द्वतीय खंड आयुर्वेद का परिचय
2.1 आयुर्वेद का अर्थ
आयुर्वेद दो शब्दों से मिलकर बना है = आयु यानि जीवन और वेद यानि ज्ञान इसका अर्थ है जीवन का ज्ञान यां एक चिकिस्सा परदाली है जो की भारत में हजारो वर्षो से प्रचलित है जो की आयुर्वेद के बहुत से ग्रंथो में इनके नियम और परिणाम दोनों लिखे है
2.2 आयुर्वेद का सिधांत
आयुर्वेद मुख्यता तिन दोसो को को दुइर करने में सहायक होता है वात ,पित्त और कफ को हमारे जीवन की सारी बीमारियो इन तेन चीजो पर निर्भर होती है यदि हम अपना वात, कफ और पित्त तीनो चीजो पर कंट्रोल प् जाये तो हमारे जीवन होने वाली अनेको गम्भीर बीमारियों से बाख जायेंगे
2.3 आयुर वेद की जीवन शैली के नियम
आयुर्वेद की जीवन शैली के नियम में बेसिक दिनचर्या होती है जो हमे खुद बनानी पडती है एक ऐसी दिन चर्या जिसको हम हमेशा अपने जीवन में लागू कर सके ताकि उसको उपोयोग में लाकर हम इसका भरपूर फायदा उठा सके इस दिनचर्या में सबसे जरुरी है अपना खान पान जितना अच्छा रखे उतना अच्छा होता है

तृतीय खंड योग और आयुर्वेद का आपसी सम्बन्ध
3.1 एक दुसरे के आपसी सम्बन्ध
योग आयुर्वेद यह दोनों ही सरीर और मन और आत्मा को समावेश पर बल देते है आयुर्वेद हमारे सरीर के के दोसो को संतुलित करने में सहायक है और औसधि भी है और यदि हम्मरे जीवन शैली में कुछ गलत आदते है तो उनमे सुधार करने क्ले बारे में भी बताता है जबकि योग और आयुर्वेद आसन प्राणायाम और ध्यान की मदत से हम अपने पूरे सरीर को स्वस्थ रख सकते है यदि हम इसको अपने जीवन में रिओजन उपयोग करे /
3.2 योग की मदत से मानसिक और भावनातमक प्रगति
जहाँ आजकल हर मनुष्य के जीवन काल में मानसिक एवम शारीरिक रूप से परेसान है वहीं पर यदि हम योग का सहारा लेते है तो हमे इन परेसनियो से छुटकारा मिलता है योग में हमे आसन बताये गये है जिनका उपयोग करके हम अपनी रोझाना परेसनियो से छुटकारा पा सकते है व्ही बहुत साडी आयुर्वेद जड़ी बतिया भी जो हमे हमारी परेसनियो से छुटकारा देनी में करती है
3.3 आयुर्वेद में रोगों की रोकथाम एवम उपचार
हम अपने जीवन में जब आयुर्वेद का उपयोग करते है तो हमे अपनी परेसनियो से आराम मिलता है जो बिना किसी तरह की हानि पहुचाये बिना मिलता है और यह सस्ता भी होता है जिसकी आधी से ज्यादा दवाए हमारे घर में पहले से ही उपस्थित होती है बस हमे पता नही होती है पहले हमारे पूर्वजो के समय अंग्रेजी दवा नही होती है तब आयुर्वेद ही काम आता था आजकल हम लोग आयुर्वेद का उपोयोग भूल गये है क्योकि इसका अनुभव नही किसी को हमे कोई भी परेशानी है हम तुरंत डाक्टर के पास भागते है जबकि उन दवाइयों से हमको आराम तो जल्दी मिलजाता पर उन दवाइयों के परिणाम बहुत हानिकारक होते है

योग और आयुर्वेद से जुडी जरुरी विधिया
1 प्रमुख योगासन के कार्य और परिणाम
ताड़ासन =यह सरीर को सीधा करने में और रीढ़ की हड्डी को सशक्त करने में मदत करता है
भुजंगासन = यह आसन पीठ और फेफड़ो को बल देने और मजबूत बनाने में सहायक है
वज्रासन = यह आसन पाचन क्रिया को सुधारने और उसको मजबूत बनाने में मदत करता है
शावाशन = यह आसन हमे मानसिक रूप से मजबूत करने में सहायक है
प्राणायाम की विधिया और परिणाम
अनुलोम विलोम = यह नाड़ी सुद्धि में बहुत उपयोगी है
कपालभाती = यह पाचनतंत्र और मस्तिस्क के लिए बहुत उपयोगी है
भ्रामरी = यह मस्तिस्क के लिए बहुत उपयोगी है
आयुर्वेद की मुख्य चिकिस्सा पद्धति
पंचकर्म = इसमें हमे अपने सरीर की सफाई बहुत अच्छे से करनी होती है
औषधि का प्रयोग = प्राकृतिक जड़ी बूटियों का उपयोग लाना चाहिए
स्वर्नप्राशन = इसमें बच्चो की रोग प्रतिरोधक छमता बढती है.
योग और आयुर्वेद को जीवन में अपनाने के नियम तरीके
दैनिक जीवन में योग के परिणाम
हर सुबह कम से कम 30 से 45 मिनट योग करे या अभ्याश करे जिसमे योग की क्रिया और प्राणायाम अनिवार्य है साथ ही कपालभाती भी उपयोगी है अच्छे स्वस्थ जीवन के लिए
ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाये कम से कम 15 मिनट ध्यान जरुर करे सुभ उठकर जो आपकी मानसिक शांति और छमता के लिए उपयोगी है
हमे अपने जीवन में जितना हो सके तकनिकी उपकरणों से दुरी बना के रखना चाहिये
दैनिक जीवन में आयुर्वेद का महत्व
आयुर वेड का उपयोग करने वाले व्यक्ति को जितना हो सके सादा भोजन खाना चाहिये और अपने भोजन को मौसम के अनुसार बदलते रहना चाहिये
रात को जल्दी सोने की कोशिश करे और सुबह जल्दी उठे जो आपके लिए उपयोगी होगा सुभ जल्दी उठाना हमारी सेहत के लिए उपयोगी होता है सुबह का ताजा मौसम हमरी सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है
निष्कर्स
योग और आयुर्वेद भारतीय संस्कृति का बहुत उपयोगी हिस्सा है यह केवल व्यायाम और उपचार की ही विधिया नही है बल्कि सम्पूर्ण जीवनशैली है जो मानव समाज को अच्छा संतुलन ,स्वास्थ , आनंद और आत्मिक उन्नति प्रदान करती है आज पूरी दुनिया जीवन की अच्छे दिशा की खोज में है तब योग और आयुर्वेद हम सभी को एक उत्तम रास्ता दिखाता है यदि हम सभी इन दो नियमो को अपने जीवनमे लागु कर ले तो हमारे जीवन से अनेको परेसनिया खत्म हो जाएँगी और हमारा जीवन बहुत अच्छा और खुशहाल हो जायेगा और हम अपने जीवन का आनन्द ले पाएंगे /