आरती संग्रह Aarti Sangrah of Hindu Gods and Goddesses

 आरती संग्रह | हिन्दू देवी देवताओं की आरती  |Aarti Sangrah of Hindu Gods and Goddesses | Aarti  Collection

Arti is derived from the Sanskrit word आरात्रिक (aratrika) which means something that removes Ratri darkness (or light waved in darkness before an icon).

AARTI
AARTI SANGRAH

 1. दुर्गा जी की आरती: ॐ जय अम्बे गौरी...

नवरात्रि पूजा में प्रतिदिन पूजा के बाद मां दुर्गा की आरती अनिवार्य मानी जाती है. यही नहीं, आम दिनों में भी पूजा के दौरान इस आरती की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में मां दुर्गा की आरती, जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी की  टेक्स्ट को आप यहां से  पढ़ कर अपनी पूजा को संपन्न  कर सकते हैं..

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
 
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
 
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
 
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
 
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
 
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
 
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
 
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
 
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
 
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
 
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
 
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
 
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
 
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

2. Maa Durga Aarti – Ambe Tu Hai Jagdambe Kali

 
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
 
तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पडो माँ करके सिंह सवारी॥
 
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
 
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
माँ-बेटे का है इस जग मे बडा ही निर्मल नाता।
 
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखडे निवारती।
 
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को सवांरती।
 
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
 
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।।
 
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
 

3. Ganga Mata Aarti – Om Jai Gange Mata

 
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता॥
 
ॐ जय गंगे माता॥
चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता॥
 
ॐ जय गंगे माता॥
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता॥
 
ॐ जय गंगे माता॥
एक बार जो प्राणी, शरण तेरी आता।
यम की त्रास मिटाकर, परमगति पाता॥
 
ॐ जय गंगे माता॥
आरती मातु तुम्हारी, जो नर नित गाता।
सेवक वही सहज में, मुक्ति को पाता॥
 
ॐ जय गंगे माता॥
 

4. Ekadashi Mata Aarti – Om jai Ekadashi, jai Ekadashi

 
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
ॐ जय एकादशी…॥
 
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
 
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
ॐ जय एकादशी…॥
 
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
ॐ जय एकादशी…॥
 
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥
 
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
ॐ जय एकादशी…॥
 
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
ॐ जय एकादशी…॥
 
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
ॐ जय एकादशी…॥
 
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
 
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
ॐ जय एकादशी…॥
 
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
ॐ जय एकादशी…॥
 
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
ॐ जय एकादशी…॥
 
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
ॐ जय एकादशी…॥
 
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
 
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥

5. पार्वती माता की आरती 

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता॥
जय पार्वती माता
 
अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा, हरिहर गुण गाता॥
जय पार्वती माता
 
सिंह को वाहन साजे, कुण्डल हैं साथा।
देव वधू जस गावत, नृत्य करत ताथा॥
जय पार्वती माता
 
सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता॥
जय पार्वती माता
 
शुम्भ निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता।
सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा॥
जय पार्वती माता
 
सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता।
नन्दी भृंगी बीन लही सारा जग मदमाता॥
जय पार्वती माता
 
देवन अरज करत हम चित को लाता।
गावत दे दे ताली, मन में रंगराता॥
जय पार्वती माता
 
श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता।
सदासुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता॥
जय पार्वती माता
 
6. Tulasi mata Aarti – Jai Tulasi Mata
 
Jai Jai Tulasi Mata, Sabki Sukhadata Var Mata।
Sab Yogo Ke Upar, Sab Rogo Ke Upar,
Ruj Se Raksha Karke Bhav Trata।
Jai Jai Tulasi Mata।
 
Bahu Putri Hai Shyama, Sur Valli Hai Gramya,
Vishnu Priya Jo Tumko Seve, So Nar Tar Jata।
Jai Jai Tulasi Mata।
 
Hari Ke Shish Virajat Tribhuvan Se Ho Vandit,
Patit Jano Ki Tarini, Tum Ho Vikhyata।
Jai Jai Tulasi Mata।
 
Lekar Janma Bijan Me Aai Divya Bhavan Me,
Manav Lok Tumhi Se Sukh Sampatti Pata।
Jai Jai Tulasi Mata।
 
Hari Ko Tum Ati Pyari Shyam Varna Sukumari,
Prem Ajab Hai Shree Hari Ka Tum Se Nata।
Jai Jai Tulasi Mata।
 
7. Shree Ganeshji Ki Aarti
 
AARTI SANGRAH
AARTI

Jai Ganesh Jai Ganesh Jai Ganesh Deva।

Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva॥ x2
 
Ekadanta Dayavanta, Char Bhujadhaari
Mathe Par Sindoor Sohe, Muse Ki Savar। x2
 
 
Paan Charhe, Phool Charhe Aur Charhe Meva
Ladduan Ka Bhog Lage, Sant Karein Seva॥ x2
 
Jai Ganesh Jai Ganesh Jai Ganesh Deva।
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva॥
 
Andhe Ko Aankh Deta, Korhina Ko Kaya
Baanjhana Ko Putra Deta, Nirdhana Ko Maya। x2
 
‘Soora’ Shyama Sharana Aaye, Saphal Kije Seva
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva॥ x2
 
(Deenana Ki Laaj Rakho, Shambhu Sutavari )
(Kaamana Ko Poorna Karo, Jaga Balihari॥)
 
Jai Ganesh Jai Ganesh Jai Ganesh Deva।
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva॥

 

8. Aarti Gajavadan Vinayaka Ki

आरती गजबदन
विनायककी। सुर-मुनि-पूजित गणनायककी॥
x2

आरती गजबदन
विनायककी॥

एकदन्त
शशिभाल गजानन
, विघ्नविनाशक शुभगुण कानन।
शिवसुत वन्द्यमान-चतुरानन, दुःखविनाशक सुखदायक की॥

आरती गजबदन
विनायककी

ऋद्धि-सिद्धि-स्वामी
समर्थ अति
, विमल बुद्धि दाता सुविमल-मति।
अघ-वन-दहन अमल अबिगत गति, विद्या-विनय-विभव-दायककी॥

आरती गजबदन
विनायककी

पिङ्गलनयन, विशाल शुण्डधर, धूम्रवर्ण
शुचि वज्रांकुश-कर।

लम्बोदर बाधा-विपत्ति-हर, सुर-वन्दित सब विधि लायककी॥

आरती गजबदन
विनायककी

9. Aarti Shree Ganapati Ji

Ganapati Ki Seva Mangal Meva, Seva Se Sab Vighna Tare
Tina Loka Ke Sakala Devata, Dvara Khare Nita Araja Kare

Ganapati Ki Seva Mangal Meva…

Riddhi Siddhi Dakshina Vaama, Viraje Aru Ananda So Chamara Kare
Dhupa-Deepa Aru Liye Aarti Bhakta Khare Jaykara Kare

Ganapati Ki Seva Mangal Meva…

Gura Ke Modaka Bhoga Lagat Hai Mushaka Vaahan Chadya-Sare
Saumya Roop Ko Dekh Ganapati Ke Vighna Bhaga Ja Door Pare

Ganapati Ki Seva Mangal Meva…

Bhado Masa Aru Shukla Charturthi Dina Dopara Door Pare
Liyo Janma Ganapati Prabhu Ji Durga Man Ananda Bhare

Ganapati Ki Seva Mangal Meva…

Adbhuta Baaja Baja Indra Ka Deva Bandhu Sab Gaana Kare
Shree Shankara ke Ananda Upajya Naam Sunyo Sab Vighna Tare

Ganapati Ki Seva Mangal Meva…

Aani Vidhata Baithe Aasan Indra Apsara Nritya Kare
Dekha Veda Brahma Ji Jako Vighna-Vinashak Naam Dhare

Ganapati Ki Seva Mangal Meva…

Ekadanta Gajavadan Vinayaka Trinayana Rupa Anupa Dhare
Pagakhambha Sa Udara Pushta Hai Dev Chandrama Hasya Kare

Ganapati Ki Seva Mangal Meva…

De Shrapa Shri Chandradeva Ko Kalahina Tatkala Kare
Chaudaha Loka Me Phire Ganapati Tina Loka Me Rajya Kare

Ganapati Ki Seva Mangal Meva…

Uthi Prabhat Jap Kare Dhyan Koi Taake Kaaraj sarva Sare
Puja Kala Aarti Gavai Taake Shira Yasha Chatra Phire

Ganapati Ki Seva Mangal Meva…

Ganapati Ki Puja Pehle Karane Se Kaam Sabhi Nirvighna Sare
Sabhi Bhakt Ganapati Ji Ke Hath Jodkar Stuti Kare

Ganapati Ki Seva Mangal Meva…

 

10. श्री रामायणजी की आरती

आरती श्री रामायण जी की। कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

गावत ब्राह्मादिक मुनि नारद। बालमीक विज्ञान विशारद।

शुक सनकादि शेष अरु शारद। बरनि पवनसुत कीरति नीकी॥

आरती श्री रामायण जी की।

कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

गावत वेद पुरान अष्टदस। छओं शास्त्र सब ग्रन्थन को रस।

मुनि-मन धन सन्तन को सरबस। सार अंश सम्मत सबही की॥

आरती श्री रामायण जी की।

कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

गावत सन्तत शम्भू भवानी। अरु घट सम्भव मुनि विज्ञानी।

व्यास आदि कविबर्ज बखानी। कागभुषुण्डि गरुड़ के ही की॥

आरती श्री रामायण जी की।

कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

कलिमल हरनि विषय रस फीकी। सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की।

दलन रोग भव मूरि अमी की। तात मात सब विधि तुलसी की॥

आरती श्री रामायण जी की।

कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

11. शिवजी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।

प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

13. Aarti Keeje Hanuman Lalaa Ki

Aarti keeje hanuman lalaa ki

Dusht dalan raghunath kala ki

Jake bal se girivar kape

Rog dhosh jake nikat na jhake

Anjani putra maha baldai

Santan ke prabhu sada sahai

Aarti keeje hanuman lalaa ki

De beera raghunath pathaye

Lanka jari siya sudhi laye

Lanka so kot samudar si khai

Jat pawansut dwar na layi

Aarti keeje hanuman lalaa ki

Lanka jari asur sanhare

Siyaramji ke kaaj shaware

Laxman murchit pade sakare

Aani sanjeevan pran ubare

Aarti keeje hanuman lalaa ki

Paithi patal tori jam-kare

Aahiravan ki bhuja ukhare

Baye bhuja asurdal mare

Dahine bhuja santjan tare

Aarti keeje hanuman lalaa ki

Sur nar munijan aarti utare

Jai jai jai hanuman uchare

Kanchan thar kapor lau chayi

Aarti karat anjana mai

Aarti keeje hanuman lalaa ki

Jo hanuman ji ke aarti gave

Basi baykunth param pad pave

Aarti keeje hanuman lalaa ki

14. Aarti Shri Ramachandraji

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman, Haran Bhavbhay Darunam।

Nav Kanj Lochan, kanj Mukh Kar Kanj Pad Kanjarunam॥

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman…।

Kandarp Aganit Amit Chhavi, Nav Neel Neeraj Sundaram।

Pat Peet Maanahu Tadit Ruchi-Shuchi Naumi Janak Sutavaram॥

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman…।

Bhaju Deenbandhu Dinesh Danav Daitya Vansh Nikandanam।

Raghunand Anand Kand Kaushal Chandra Dasharath Nandanam॥

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman…।

Shir Mukut Kundal Tilak Charu Udar Ang Vibhushanam।

Ajanubhuj Shar Chap-Dhar Sangram Jit Khardushnam॥

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman…।

Iti Vadati Tulsidas, Shankar Shesh Muni Man Ranjanam।

Mam Hriday Kanj Nivas Kuru, Kaamadi Khal Dal Ganjanam॥

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman…।

Man Jahi Raacheu Milahi So Var Sahaj Sundar Sanvaro।

Karuna Nidhaan Sujaan Sheel Saneh Janat Ravro॥

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman…।

Aehi Bhanti Gauri Asis Sun Siy Hit Hiy Hiy Harshit Ali।

Tulsi Bhavanihi Poojee Puni Puni Mudit Man Mandir Chali॥

Shri Rama Chandra Kripalu Bhajuman…।

 

 

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